Saturday 5 May 2018

NIA का दावा, धर्मपरिवर्तन के लिए पीएफआई से जुडी संस्था ‘सम्मोहन’ का लेती थी सहारा

NIA का दावा, धर्मपरिवर्तन के लिए पीएफआई से जुडी संस्था ‘सम्मोहन’ का लेती थी सहारा


एनआईए बहुचर्चित हदिया समेत कथित लव जिहाद के कई मामलों की जांच कर रही है . . .
नई देहली : कथित ‘लव जिहाद’ मामले की जांच कर रही नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के अनुसार पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने संभवतः ‘सम्मोहन’ का उपयोग किया था ! एनआईए जांच के अनुसार पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडियाद्वारा संचालित धार्मिक मामलों में सहयोग करनेवाला केंद्र सत्यसारिणी अपने टारगेट्स को यह यकीन दिलाता था कि दूसरे मजहब के लोग उनसे हीन हैं और इसके लिए संभवतः ‘सम्मोहन’ की तकनीक का उपयोग किया जाता था !
Satya Sarani, an Islamic study centre has come under the radar for its alleged role in a suspected Love Jihad case from Kerala.
सत्यसारिणी का दावा है कि, वह इस्लामी ज्ञान का प्रसार करता है । एनआईए को जांच में पता चला है कि सत्यसारिणी के उपदेशक लोगों के अवचेतन मन को टारगेट करते थे और उन्हें यह यकीन दिलाने का प्रयास करते थे कि गैरइस्लामी लोग जहन्नुम जैसी यातना का सामना करेंगे ।
एनआईए ने कथित लव जिहाद के ११ मामलों की जांच की और इनमें से ९ में सत्यसारिणी, जिसे मरकज हिदाया दावा इन्स्टिट्यूट के नाम से भी जाना जाता है, की भूमिका पाई गई है ! सूत्रों के अनुसार इन लोगों को सत्यसारिणी इस्लामी अध्ययन केंद्र में २ महीने के धार्मिक कोर्स के लिए भेजा गया था ।
जांचकर्ताओं को पीएफआई-सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं की कार्यप्रणाली में एक पैटर्न दिखा कि किस तरह उन्होंने लोगों सत्यसारिणी में जाने के लिए मनाने की खातिर प्रलोभन, कैद और जोर-जबरदस्ती का सहारा लिया । टारगेट्स को सत्यसारिणी में भेजने के बाद जबरदस्त काउंसलिंग, ब्रेनवॉशिंग और मुस्लिमों पर कथित अत्याचारों के विडियो दिखाकर उनका धर्मपरिवर्तन कराया जाता था । कट्टरपंथी संगठनोंद्वारा धर्मपरिवर्तन के लिए कथित अत्याचारों का हवाला देकर टारगेट को प्रेरित करने की कॉमन रणनीति अपनाई जाती रही है ।
The Islamist organisation Muslim Ekopana Samiti (Malayalam for Muslim Liaison Committee and Popular Front of India (banned terror organization) which have links with ISIS and LeT, came together and threatened the two judges K Surendra Mohan and Abraham Mathew who gave Akhila’s verdict.
एनआईए के आरोपों को पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने खारिज किया है । पीएफआई के पब्लिक रिलेशंस डायरेक्टर मोहम्मद शमून ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘एजेंसी जानबूझकर एक ऐसे शांतिप्रिय और कानून को माननेवाले संगठन की छवि को धूमिल और कलंकित कर रही है, जो देश के कमजोर तबकों के सामाजिक उत्थान और न्याय के लिए संघर्ष करता है !’
एनआईए जिन मामलों की जांच कर रही है उनमें महिलाओं के साथ-साथ कुछ पुरुषों के मामले भी शामिल हैं । इन मामलों में बहुचर्चित हदिया केस भी शामिल हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया कि वह अपने पति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है ! ये मामले पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) से जुड़े हुए हैं और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन मामलों की जांच हो रही है ताकि इनकी जांच तार्किक अंजाम तक पहुंचे !
इस बात की जांच की जा रही है कि क्या ‘लव जिहाद’ के जरिए दूसरे मजहब के लोगों का धर्मपरिवर्तन कराने के लिए संगठित रूप से प्रयास किए गए थे ? सूत्रों ने बताया कि ६ मामले ऐसे हैं जिनमें महिलाओं का धर्मपरिवर्तन कराया गया और ४ ऐसे मामले हैं जिनमें उन पुरुषों का धर्मपरिवर्तन कराया गया जो किसी मुस्लिम पार्टनर के साथ रिश्ते में थे । ३ अन्य मामलों में माना जा रहा है कि धर्मपरिवर्तन की कोशिशें नाकाम हो गईं ।
सभी मामलों में पीएफआई-एसडीपीआई का कॉमन लिंक पाया गया । इन तीन मामलों में करीब १३ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से सभी पीएफआई के कथित कार्यकर्ता या उससे सहानुभूति रखनेवाले हैं !
Muslim Ekopana Samiti ‘protest’ !
एनआईए के जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि २०१७ में हदिया की शफीन जहां के साथ शादी को अमान्य घोषित करने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुस्लिम एकोपना समिति के बैनर तले केरल में हिंसक प्रदर्शनों के लिए गिरफ्तार २५ लोग पीएफआई या एसडीपीआई से जुड़े हुए थे । २९ जून २०१७ में मुस्लिम एकोपना समिति के बैनर तले केरल में जगह-जगह उग्र और हिंसक प्रदर्शन हुए थे !
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

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