उत्तर प्रदेश के आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने बुधवार (22 सितंबर, 2021) को अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। भारत के सबसे बड़े धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एटीएस ने यह गिरफ्तारी मेरठ से की है। पुलिस ने बताया कि मौलाना जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है, जो कई मदरसों को फंड देता है। इसके लिए उसे विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है। मौलाना को पूछताछ के लिए मेरठ से लखनऊ लाया गया है। यूपी एटीएस ने कलीम के साथ ही उसके तीन सहयोगी मौलानाओं और ड्राइवर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार मौलाना की गिरफ्तारी को लेकर आज यूपी पुलिस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह मौलाना की गिरफ्तारी से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना कलीम अवैध धर्मांतरण मामले जून 2021 में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम का करीबी है। बताया जा रहा है कि उमर से पूछताछ के बाद मिले सुराग के आधार पर एटीएस ने यह कार्रवाई की है।
64 वर्षीय इस्लामिक स्कॉलर संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था। मौलाना कलीम ग्लोबल पीस सेंटर और जमीयत-ए-वलीउल्लाह का अध्यक्ष भी है। इसके अलावा पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े मौलवियों में से एक कलीम सिद्दीकी कई मदरसों का प्रभारी भी है।
बताया जा रहा है कि कलीम मुजफ्फरनगर के फूलत गाँव का रहने वाला है। वह मुजफ्फरनगर से मेरठ के लिसाड़ीगेट के हुमायूँनगर में स्थित एक मस्जिद के इमाम शारिक में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आया था। मंगलवार (21 सितंबर 2021) रात लगभग नौ बजे नमाज अदा करने के बाद मौलाना वापस मुजफ्फरनगर लौट रहा था, इसी दौरान उसे ATS की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्मांतरण कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी को जून में दिल्ली के जामिया नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया था। उन पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से कथित फंडिंग के साथ बधिर छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगा था।
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