Monday 26 July 2021

दिल्ली : मिर्गी के इलाज के नाम पर जाकिर ने सालों किया २ महिलाओं का रेप, कराया धर्मांतरण

 

दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक महिला और उसकी नाबालिग भांजी के साथ कई सालों तक रेप किया गया और उनका धर्मांतरण कराया गया। इस मामले में आरोपित जाकिर के खिलाफ शाहदरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

इलाज के नाम पर हैवानियत :

एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित महिला ने दावा किया कि 2005 में जब उसकी उम्र 10 साल की थी तब उसे पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा। इसके बाद लोगों की सलाह पर इसके उपचार के लिए वह जाकिर से मिली जो कि उसके घर आने लगा और घर के सदस्यों को अपने वश में कर लिया। महिला के अनुसार जाकिर ने उसके घर में ही अपनी गद्दी जमा ली और जिन को खुश करने एवं बलि के नाम पर महिला के परिवार वालों से पैसे ऐंठने लगा। महिला के अनुसार पहली बार 13 साल की उम्र में उसके साथ जाकिर ने रेप किया। इसके बाद जाकिर कई सालों तक महिला के साथ ऐसे ही रेप करता रहा और 4 बार महिला का अबॉर्शन भी कराया गया। महिला ने बताया कि रेप करने के बाद जाकिर कहता था कि यह सब शैतान ने किया है।

इसके साथ ही जाकिर ने महिला और उसके भाई का धर्म परिवर्तन करा दिया। महिला ने बताया कि हलफनामे में उसके जन्म के साल को 1985 लिखाया गया जबकि वह 1995 में पैदा हुई थी। इतना ही नहीं महिला ने यह भी दावा किया कि जाकिर ने महिला के पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं होने दिया और मोहम्मद यूसुफ नाम बताकर उन्हें दफना दिया गया। महिला ने बताया कि जाकिर ने महिला से घर में ही तीन बार कुबूल कहकर निकाह कर लिया। महिला ने यह भी बताया कि जाकिर पहले से शादीशुदा है और उसकी एक बच्ची भी है।

जाकिर ने महिला की भांजी के साथ भी रेप किया। उसने बताया कि जब वह चौथी क्लास में थी तो जाकिर ने पहली बार उसके साथ रेप किया और उसके बाद से लगातार यह सिलसिला चलता रहा। भांजी ने बताया कि 2017-18 के दौरान जब उसने विरोध करना शुरू किया तो जाकिर ने उसके हाथ पर कई बार ब्लेड से कट मारे और यह कहता कि यह सब जिन को बलि देने के लिए किया जा रहा है नहीं तो वह सभी को परेशान करता रहेगा।

न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर :

एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित महिला ने बताया कि जब वह अपनी भांजी के साथ शाहदरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो वहाँ किसी एक की रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही गई। इस पर महिला ने अपनी शिकायत दर्ज कराई। अदालत में जब महिला का बयान दर्ज किया गया तब उसकी भांजी ने भी अपने साथ हुए दुष्कर्म की बात बताई, तब अदालत के आदेश पर शाहदरा थाने में भांजी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। हालाँकि दोनों ने ही पुलिस पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है। भांजी का कहना है कि उसकी उम्र 16 साल ही है लेकिन सभी कागजात दिखाने के बाद भी पुलिस ने उसकी उम्र 21 साल लिख दी।

हिन्दू संगठन आए सहायता के लिए आगे:

यूनाइटेड हिन्दू फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष जी भगवान गोयल ने कहा है कि उनके सामने महिला और उसकी भांजी के रेप और धर्मांतरण का मामला सामने आया है। गोयल ने बताया कि इस मामले में शाहदरा के डीसीपी से बात की गई है और संगठन पीडिताओं को न्याय दिलाने में उनकी पूरी मदद करेगा। साथ ही समाज सेविका अनिता गुप्ता ने कहा है कि माँ शक्ति एनजीओ के माध्यम से दोनों पीड़िताओं की सहायता की जाएगी। उन्होंने कहा कि मामला धर्मांतरण और रेप का है, पॉक्सो ऐक्ट का मामला होने के बाद भी आरोपित को जमानत मिलना समझ से परे है।

संदर्भ : OpIndia

Sunday 18 July 2021

UP धर्मांतरण गिरोह : महाराष्ट्र से 3 दबोचे गए, इजिप्ट और मिडिल ईस्ट तक गिरोह का नेटवर्क


उत्तर प्रदेश के आतंकनिरोधी दस्ता (ATS) ने बड़ी जानकारी दी है कि इस्लामी धर्मांतरण गिरोह के तार मिस्र (Egypt) से लेकर मध्य-पूर्व (Middle East) के कई मुल्कों तक फैले हुए हैं। ‘इस्लामी दावा सेंटर’ के मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर काजी की गिरफ़्तारी के बाद इस मामले का पर्दाफाश हुआ था। अब ATS ने महाराष्ट्र से तीन नई गिरफ्तारियाँ की हैं। इन तीनों को नागपुर से गिरफ्तार किया गया।

जिन तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया गया, उनके नाम हैं – कौशर आलम, रामेश्वर काँवरे उर्फ़ एडम और भूपिंदर बंदो उर्फ़ डॉक्टर अर्सलान। इस मामले में 6 लोगों की गिरफ़्तारी पहले ही हो चुकी है। नागपुर से गिरफ्तार ये तीनों इस धर्मांतरण गिरोह की अहम कड़ी हैं। इनके जरिए ही महाराष्ट्र और इसके आसपास के इलाकों में इस्लामी धर्मांतरण का जाल फैलाया जा रहा था। कौसर आलम झारखंड के धनबाद स्थित झरिया का निवासी है।

वहीं एडम नागपुर का ही रहने वाला है। भूप्रिय बंदो मूल रूप से गढचिरौली का निवासी है, लेकिन फ़िलहाल वो नागपुर में ही रह रहा था। इन तीनों को शुक्रवार (16 जुलाई, 2021) की रात गिरफ्तार किया गया। इन्हें सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लाया गया। अगले दिन मध्य रात्रि में तीनों लखनऊ पहुँचे। 30 वर्षीय ग्रेजुएट एडम इस गिरोह की बड़ी कड़ी है, जिसकी बीवी माई हसन अली इजिप्ट की रहने वाली है।

वो महाराष्ट्र में धर्मांतरण गिरोह का काम देखने के साथ-साथ अपने अन्य साथियों से भी जुड़ा हुआ था। मध्य एशिया के कई मुस्लिम बहुल मुल्कों में इनका तगड़ा नेटवर्क है, जिसके सहारे ये इस्लामी प्रोपेगंडा के प्रचार-प्रसार में लगे थे। वहीं 51 वर्षीय कौसर आलम बीज का व्यापार करता है। उमर और कौसर पुराने परिचित हैं। बीज व्यापार की आड़ में वो महाराष्ट्र व कर्नाटक में गिरोह का कामकाज देख रहा था।

उमर गौतम द्वारा दिल्ली में ‘रिवर्ट गेट टुगेदर’ के वार्षिक कार्यक्रम आयोजित करता रहा है, जिसमें एडम और अर्सलान के साथ कौसर भी 2018 से ही हिस्सा ले रहा था। वहीं चामोसी निवासी डॉक्टर अर्सलान हिजामा थेरेपी (Vacuum Cupping) का विशेषज्ञ है। इसके जरिए शरीर से टॉक्सिन्स निकाले जाते हैं। वो धर्मांतरण गिरोह की फंडिंग का काम देख रहा था। इस मामले में सलाउद्दीन, इरफान शेख, राहुल भोला और मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान पहले से ही जेल में हैं।

Saturday 3 July 2021

धर्मांतरण गिरोह के 6 ठिकानों पर ED की छापेमारी, कई करोड़ की विदेशी फंडिंग

 

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस्लामी धर्मांतरण गिरोह से जुड़े 6 ठिकानों पर छापेमारी की। ED ने शनिवार (जुलाई 3, 2021) को दिल्ली और उत्तर प्रदेश के इन ठिकानों पर छापा मारा। जाँच एजेंसी ने अपनी इस कार्रवाई के दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए, जिससे बड़े स्तर पर इस्लामी धर्मांतरण की बात पता चली। मौलाना मोहम्मद उमर गौतम कई संगठनों के साथ मिल कर ये काला कारोबार चला रहा था।

साथ ही ED को इस मामले में विदेशी फंडिंग के भी सबूत मिले हैं। केंद्रीय जाँच एजेंसी का आकलन है कि अवैध धर्मांतरण के लिए इन संगठनों को कई करोड़ रुपए विदेश से मिले हो सकते हैं। ये खुलासा इन्हीं दस्तावेजों से हुआ है। दिल्ली में तीन और यूपी में 3 ठिकानों पे ED की छापेमारी हुई। इसमें दिल्ली के जामिया नगर स्थित ‘इस्लामिक दावा सेंटर (IDC)’ का मुख्य दफ्तर भी शामिल है, जो इन अवैध गतिविधियों का गढ़ था।

यहीं से मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी ऑपरेट करते थे। फ़िलहाल दोनों उत्तर प्रदेश पुलिस की गिरफ्त में हैं। ‘अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन’ के लखनऊ और ‘गाइडेंस एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी’ के संत कबीर नगर स्थित ठिकानों को भी ED ने खँगाला। इन संगठनों के साथ उमर गौतम और जहाँगीर कासमी का सम्बन्ध था। ये अवैध धर्मांतरण में बड़ी भूमिका निभा रहे थे।

ED ने ये कार्रवाई ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के आरोपों की जाँच के तहत शुरू की है। ATS द्वारा दर्ज की गई FIR को ही इसके लिए आधार बनाया गया है, जिसमें इसका जिक्र है कि कैसे धन का लालच देकर पिछड़ों और दिव्यांगों का धर्मांतरण कराया जा रहा था। ED ने बयान जारी कर इस कार्रवाई की जानकारी दी। अभी इस मामले में आगे की जाँच की जा रही है, जिससे कई राज़ निकलने की संभावना है।

इधर ATS भी उत्तर प्रदेश के 32 जिलों में धर्मांतरण गिरोह का नेटवर्क खँगालने में जुटी है। ये इतना बड़ा नेटवर्क है कि इसके लिए 100 से अधिक अधिकारियों की ज़रूरत पड़ रही है। जाँच के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। इरफान शेख, राहुल भोला और अब्दुल मन्नान उर्फ मन्नू यादव को लखनऊ जिला जेल से कस्टडी में लिया गया है।

वहीं मौलाना मोहम्मद उमर गौतम ने इलाहबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर के जाँच को रोकने की माँग की है, जिस पर रमेश सिन्हा और विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई भी हुई। इस दौरान आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है। ये भी सामने आया है कि उमर और जहाँगीर ने सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान भी 300 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन कराया। अपनी सभाओं में ये लोग कहते थे कि CAA और NRC को हटाना है तो इस्लाम को मजबूत बनाना होगा।


Friday 2 July 2021

गुजरात से दबोचा गया उमर गौतम का साथी सलाहुद्दीन शेख, 4 साल में NGO को ₹10 करोड की विदेशी फंडिंग


इस्लामी धर्मांतरण के बड़े गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद से ही उत्तर प्रदेश एटीएस इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है।इसी क्रम में छठी गिरफ्तारी हुई है। गुजरात और यूपी एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई में सलाहुद्दीन शेख को दबोचा है।

देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार सलाहुद्दीन शेख वडोदरा के AFMI के चैरिटेबल ट्रस्ट का मैनेजिंग ट्रस्टी है। वह इस्लामिक धर्मांतरण के लिए उमर गौतम को विदेशी फंडिंग उपलब्ध कराता था।

इंडियन एक्सप्रेस से इस बारे में चर्चा करते हुए गुजरात एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपित सलाहुद्दीन शेख को वडोदरा से गिरफ्तार कर बुधवार (30 जून) की शाम को अहमदाबाद की अदालत में पेश किया गया जहाँ से 3 जुलाई तक की हिरासत मिली उसे यूपी एटीएस टीम को सौंप दिया गया है।

यूपी एटीएस ने भी अपने वक्तव्य में यह सूचना दी है कि शेख ने कबूल किया है कि वह उमर गौतम को जानता है और धर्मांतरण के लिए उसे हवाला का पैसा उपलब्ध कराता था। शेख ने कथित तौर पर उमर गौतम को 30 लाख रुपए उपलब्ध कराए हैं। उमर गौतम इस्लामिक दावाह केंद्र का संस्थापक है जो इस मामले में जाँच के दायरे में है।

फंडिंग की डिटेल

FCRA के अनुसार 2016-21 के दौरान सलाहुद्दीन शेख के एनजीओ को लगभग 10 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग मिली। देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार शेख के संगठन AFMI को 2016-17, 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान क्रमशः 1.62 करोड़, 1.4 करोड़, 2.75 करोड़ रुपए और 4 करोड़ रुपए की फंडिंग प्राप्त हुई। हालाँकि अभी 2020-21 के आँकड़े प्राप्त नहीं हो सके हैं।

अधिकांश फंड यूके और अमेरिका के संगठनों से प्राप्त हुए हैं। इनमें यूके के जुलेखा जिंगा फाउंडेशन, मजिलिस अल फतह ट्रस्ट, फ़िरदौस फाउंडेशन, इखार विलेज वेल्फेयर ट्रस्ट, नॉर्थ वेस्ट रिलीफ़ ट्रस्ट और गुजराती मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ अमेरिका शामिल हैं।

यह फंड अस्पतालों के संचालन, गरीबों की शिक्षा और विधवाओं को मासिक तौर पर राशन प्रदान करने के नाम पर लिए गए हैं। यह दावा किया गया है कि AFMI चैरिटेबल ट्रस्ट छोटा उदयपुर के जनजातीय इलाकों में अंग्रेजी मीडियम स्कूल चलाता है।

इससे पहले रिपब्लिक टीवी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कट्टरपंथी जाकिर नाईक और उसके सहयोगी बिलाल फिलिप्स के साथ उमर गौतम के संबंध हैं। ये दोनों ही आतंकी संगठनों तालिबान और हमास से जुड़े हुए हैं।

Thursday 1 July 2021

धर्मांतरण रैकेट : संतोष जब हो गया अनाथ, तो उसे बना दिया गया अब्दुल्ला

 


देश में इस्लामिक धर्मान्तरण की एक के बाद एक खबर आ रही है। अब गुजरात से भी धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है। राज्य के सूरत शहर स्थित आजाद नगर का रहने वाला संतोष पंढारे धर्मान्तरण कर अब्दुल्ला बन गया है। इस मामले की जानकारी मिलते ही उसके बड़े भाइयों ने उसे वापस लाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे।

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत का रहने वाला संतोष धर्मान्तरण का शिकार हो गया है। वह आजाद नगर में अपने दो बड़े भाइयों के साथ रहता था। तीनों के माता-पिता का बेचपन में देहांत हो गया था। अनाथ होने के बाद तीनों का जीवन गरीबी में कट रहा था। वर्ष 2013 में एक दिन 16 वर्षीय नाबालिग संतोष (अब अब्दुल्ला) घर से काम की तलाश में निकला तो वापस नहीं लौटा।

उसके भाइयों ने उसे काफी ढूँढा, लेकिन वो नहीं मिला। करीब 7-8 साल बीतने के बाद एक दिन वह अपने भाइयों के माोबाइल पर फोन करता है और अपने बारे में बताता है। फोन पर बात होने के बाद उसके भाइयों राजेश और दिनेश ने उसे सूरत वापस लाने की काफी कोशिश की, लेकिन वो उसमें सफल नहीं हुए।

संतोष के भाई राजेश के मुताबिक, उस दौरान वो नाबालिग था, इसलिए उसे पहला-फुसला कर कुछ लोग अपने साथ ले गए और धर्मान्तरण करवा दिया। उसने ये भी बताया कि दो साल पहले उसे सूरत लाया गया था, जहाँ उसने अपने ही भाइयों को मारने के लिए गुंडे बुलाए थे। हालाँकि, एक दिन अचानक से वो गायब हो गया था।

संतोष के भाइयों के मुताबिक, उन्होंने बजरंग दल के देवी प्रसाद दुबे से मदद माँगी थी। इसके अलावा सूरत के तत्कालीन कमिश्नर सतीश शर्मा ने मामले में संज्ञान लिया था। जिसके बाद क्राइम ब्राँच की टीम उसे सूरत वापस लाई थी। फिलहाल वो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कहीं रह रहा है।

विहिप ने मतांतरण के मुद्दे को विधानसभा में उठाने नेता प्रतिपक्ष से की मांग

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