Tuesday 29 June 2021

धर्मांतरण रैकेट में विदेशी फंडिंग का खुलासा, UK-मिडिल ईस्ट से आए करोडो रूपए

 


उत्तर प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण रैकेट मामले में विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ है। इसमें हवाला के माध्यम से फंडिंग की बात सामने आई है जिसमें कतर, दुबई और आबूधाबी से ट्रांजेक्शन होने के सबूत मिले हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस मामले में तीन अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है।

यूपी एडीजी (लॉ &ऑर्डर) की प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया है कि उमर गौतम जो पूर्व से ही हिरासत में है, उसने इरफान के साथ मिलकर प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने का कार्य किया है। इनका पूरा गैंग था जो प्रलोभन देकर लोगों के धर्म परिवर्तन का कार्य करता था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया है कि सामूहिक धर्मांतरण के इस मामले अलीगढ़, बनारस, नोएडा और सहारनपुर समेत 27 जिलों के एसपी को पत्र लिखकर सत्यापन करवाया जा रहा है। आरोपितों द्वारा कई मूक-बधिरों का धर्मांतरण कराया गया। इन मूक-बधिरों के ब्रेन वाश करने का काम एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए राहुल भोला के द्वारा किया जाता था।

जाँच में विदेशी फंडिंग का एंगल भी सामने आया है। एटीएस के अनुसार 2 करोड़ रुपए यूनाइटेड किंगडम से आए जिनका उपयोग मुख्य आरोपित उमर गौतम और मुफ्ती कासिम के द्वारा किया गया। एटीएस के मुताबिक यूके से यह फंडिंग गुजरात के किसी व्यापारी के खाते के माध्यम से की गई जिसकी जानकारी को वैरिफाई किया जा रहा है। इस पूरी फंडिंग में लगातार फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट अधिनियम का उल्लंघन होता रहा और जिसकी जाँच ईडी के द्वारा की जा रही है।

इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आ रही है कि एटीएस को दोनों मुख्य आरोपितों के बैंक खातों में मध्य-पूर्वी देशों से फंडिंग के भी सबूत मिले हैं। इस पूरे मामले में विभिन्न पहलुओं पर जाँच की जा रही है। हालाँकि एटीएस ने आज (28 जून) ही तीन अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान निवासी गुरुग्राम हरियाणा, इरफान शेख निवासी बीड महाराष्ट्र और राहुल भोला निवासी नई दिल्ली शामिल हैं। इसके अलावा शनिवार (26 जून) को एटीएस मुख्य आरोपितों को एनसीआर के आसपास उन 4 जिलों में लेकर गई जहाँ आरोपितों के द्वारा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के उद्देश्य से यात्राएं की गई।

उत्तर प्रदेश में भूचाल मचा देने वाले इस धर्मांतरण मामले में फतेहपुर के नूरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल की भूमिका भी संदिग्ध रही है। जाँच के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि नूरुल हुदा स्कूल का उपयोग उमर गौतम अपने धर्मांतरण के कार्य के लिए करता था। इस स्कूल में पढ़ाने वाली अंग्रेजी की एक टीचर ने भी स्कूल में इस्लामी धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर आवाज उठाई थी। हिन्दू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर अंग्रेजी की टीचर को स्कूल से निकाल दिया गया था और उनके साथ बदतमीजी भी की गई थी। हालाँकि ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने फतेहपुर के DM और SP को तलब किया था।

ज्ञात हो कि यूपी ATS ने मूक बाधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर अब तक करीब 1000 मूक बधिर, महिलाएँ और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। यही नहीं, इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये इस्लामी गिरोह ब्रेनवाश के जरिए हिंदुओं का धर्मांतरण कराते थे। गिरफ्तार आरोपितों में मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम शामिल हैं। उमर गौतम का खुद इस्लामीकरण हुआ था।

Sunday 27 June 2021

केंद्रीय मंत्रालय तक धर्मांतरण गिरोह की पहुंच, अधिकारी देता था बच्चों की सूची

 



जहाँ देश भर में धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है और दिल्ली से दो मौलवियों की गिरफ़्तारी के बाद इस पर चर्चा जोड़ पकड़ रही है, वहीं अब केंद्र सरकार के एक अधिकारी के धर्मांतरण रैकेट में शामिल होने की बात पता चली है। ATS (आतंकवाद निरोधी दस्ता) की जाँच में महिला एवं बाल विकास विभाग का एक अधिकारी पकड़ा गया है। वो अनाथ बच्चों की सूची बना कर ‘इस्लामी दावा सेंटर’ को मुहैया कराता था।

केंद्रीय मंत्रालय तक पहुँची इस्लामी धर्मांतरण गिरोह की जाँच

गिरफ्तार मौलवी उमर गौतम इस संस्थान का संचालन करता था, जो मुख्य रूप से मूक-बधिर बच्चों को निशाना बनाता था। सूची मिलने के बाद वो उन बच्चों को प्रलोभन देता था और एक साजिश के तहत उसका धर्मांतरण किया जाता था। उक्त अधिकारी के बारे में पता चला है कि वो खुद धर्म बदल कर हिन्दू से मुस्लिम बना है। ATS फ़िलहाल उससे पूछताछ कर रही है। इस तरह ISI के इशारे पर चल रही इस्लामी धर्मांतरण रैकेट की जाँच अब स्मृति ईरानी के मंत्रालय की चौखट तक पहुँच गई है।

वो ऐसे बच्चों की सूची धर्मांतरण गिरोह को मुहैया कराता था, जो आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। इसके बाद मौलाना मोहम्मद उमर गौतम उन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करता था और इस्लामी सेंटर लाकर उन्हें मुस्लिम बनाता था। जिन बच्चों के परिजन राजी नहीं होते थे, उन बच्चों को रोजगार का लालच देकर नोएडा की डेफ सोसाइटी जैसी संस्थाओं में पहुँचा दिया जाता था। वहाँ उनका सिस्टेमेटिक ब्रेनवॉश होता था।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अक्सर विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन आते हैं और उक्त अधिकारी उन्हीं आवेदनों से बच्चों की सूची तैयार करता था। कई साल से वो अधिकारी ‘इस्लामी दावा सेंटर’ से जुड़ा हुआ है और मौलाना मोहम्मद उमर गौतम का करीबी भी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की आर्थिक मदद व संरक्षण की जिम्मेदारी ली है। इस काम में कई NGO को भी लगाया गया है।

ऐसे समय में इस तरह का मामला सामने आना सरकार के कान खड़े करने वाला है। इस क्षेत्र में कार्य कर रही कुछ NGO को हटा भी दिया गया है। बच्चों की सूची तैयार करने के लिए कुछ चुनिंदा और भरोसेमंद अधिकारियों को ही लगाया गया है। उत्तर प्रदेश का बाल आयोग भी इस मामले के सामने आने के बाद सतर्क हो गया है। किस NGO के तार किन इस्लामी जिहादियों से जुड़े हो सकते हैं, ये कहना मुश्किल है।

मेरठ: जेल में 2 लाख रुपए देकर धर्मांतरण का आरोप

उधर उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक मामला सामने आया है, जहाँ जेल में बंद ताराचंद ने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी। अब उसने दाढ़ी कटवा कर कहा है कि उसने सिर्फ नमाज पढ़ी है, इस्लाम कबूल नहीं किया है। हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया था कि उसने अपना धर्म बदल लिया है। मुंडाली थाना क्षेत्र अंतर्गत मऊ खास गाँव का ताराचंद 2017 से ही जेल में बंद था। जेल से छूट कर आने के बाद वो गाँव में नमाज पढ़ने लगा था

साथ ही हो गाँव के कुछ युवाओं पर इस्लाम मजहब कबूल करने के लिए दबाव भी बना रहा था। लोगों का आरोप है कि जेल में ही 2 लाख रुपए देकर उसका धर्मांतरण करा दिया गया। अब उसने कहा है कि उसने इस्लाम कबूल नहीं किया है। एक युवक ने थाने में उसके खिलाफ तहरीर भी दी है और ख़ुफ़िया विभाग इस घटना पर नजर रखे हुए है। पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया है। उसका कहना है कि जबरन धर्मांतरण वाली कहने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा है।

प्रयागराज की ऋचा और ज्योतिका: उच्च-शिक्षित भी बनी शिकार

धर्मांतरण गिरोह की जाँच कर रही टीम को प्रयागराज की एक युवती के बारे में भी पता चला है, जो अशोक नगर में रहती है। उसका नाम ज्योतिका बताया जा रहा है, लेकि अब उसने इस्लाम अपना लिया है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक और फिर एमटेक कर चुकी ज्योतिका दिल्ली में रह कर आगे की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन गिरोह ने उसे भी अपना शिकार बना लिया। प्रयागराज में उसके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश प्रशासन कर रहा है।

उच्च-शिक्षित होने के बावजूद युवती किन हालत में इस्लामी धर्मांतरण गिरोह का शिकार हुई, ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है। ज्योतिका के घर वालों को इस बात का पता है या नहीं, ये भी पता लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही उसे विभिन्न कार्यक्रमों में बुला कर माइंडवॉश किया गया था। इसी तरह कानपुर की एक ऋचा के धर्मांतरण का मामला सामने आया था।

ऋचा भी ज्योतिका की तरह उच्च-शिक्षित थी। दोनों प्रयागराज की हैं और दिल्ली में उनका धर्म-परिवर्तन हुआ, ऐसे में पता लगाया जा रहा है कि दोनों के बीच कॉमन लिंक क्या है। बीएससी और एमबीए कर चुकी ऋचा ने जयपुर और नोएडा में जॉब भी किया था। ऋचा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई के दौरान किसी शाहिद का नाम लेती थी। शाहिद जमातियों को पनाह देने के आरोप में जेल जा चुका है।

वो पेशे से प्रोफेसर है। उसके वकील अदील अहमद खान का कहना है कि प्रोफेसर को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शाहिद का इस छात्रा से कभी कोई सम्बन्ध रहा ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि उक्त प्रोफेसर दूसरे विभाग में पढ़ाते हैं, जिसमें ऋचा नहीं पढ़ती थी। मौलाना उमर गौतम की जड़ें भी प्रयागराज में गहरी हैं। उसने वहाँ से पढ़ाई की थी। जॉर्ज टाउन की एक युवती ने भी झाँसा देकर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया है।

गिरफ्तार मौलानाओं को लेकर सबूत खँगालने निकली ATS

उधर उत्तर प्रदेश ATS दोनों मौलानाओं को लेकर राज्य के 4 जिलों में गई, जहाँ सबूत जुटाने का काम चल रहा है। मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी और मौलाना उमर गौतम को साथ लेकर ATS सबूत खँगाल रही है। जिन 1000 लोगों का उसने धर्मांतरण कराया है, उसके बारे में भी पता लगाया जा रहा है। कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनकी पुष्टि की जा रही है। 4 जिलों में इन आरोपितों को कई बार ले जाया गया।

अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों पिछले समय में गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर और मेरठ में रहे हैं। गाजियाबाद में वो कई दिनों तक रहे थे, जहाँ कई लोगों का धर्मांतरण कराया गया था। असम की एक सदिग्ध संस्था से भी दोनों के सम्बन्ध पता चले हैं। इसका विवरण असम पुलिस से साझा किया जा रहा है। ‘इस्लामी दावा सेंटर’ के नाम पर भी अधिकतर फंडिंग रिसीव की जाती थी, जिसके स्रोतों का पता लगाया जा रहा है

Saturday 26 June 2021

मो उमर गौतम ने किया मेधावी छात्राओं का भी ब्रेनवॉश: ATS को मिली ग्रामीण इलाकों की मुस्लिम बनीं 33 युवतियों की लिस्ट


उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद से इस मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एटीएस को आरोपितों के पास से 33 लड़कियों की एक सूची मिली है, जिनमें आधे से ज्यादा युवतियाँ ग्रामीण इलाकों की रहने वाली हैं। धर्म परिवर्तन मामले में गिरफ्तार मोहम्मद उमर गौतम और काजी जहाँगीर ने एटीएस को बताया कि वे ग्रामीण इलाकों की युवतियों को अपना शिकार बनाते थे, क्योंकि गाँवों में रहने वाली युवतियों का ब्रेनवॉश करने में आसानी होती थी।

बताया जा रहा है कि बीहूपुर गाँव घाटमपुर निवासी ऋचा उर्फ माहीन अली का खुलासा होने के बाद एटीएस ने एक बार फिर मोहम्मद उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावा सेंटर से बरामद 33 युवतियों और महिलाओं की सूची की दोबारा पड़ताल शुरू कर दी है। एटीएस के सूत्रों के अनुसार सूची की जाँच के बाद पता चला कि ज्यादातर युवतियाँ और महिलाएँ झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुवाहाटी समेत अन्य राज्यों के ग्रामीण इलाकों की हैं। गिरोह के सदस्य उन्हें लालच देकर अपने जाल में फँसाते हैं और इसके बाद उनका ब्रेनवॉश करके धर्मांतरण करा देते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूछताछ में आरोपितों ने यह भी कबूला कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली इन युवतियों और महिलाओं को दबा-कुचला वर्ग मानकर कई बार इनका तिरस्कार किया गया है। इसका फायदा उठाकर उनका गिरोह उन महिलाओं और युवतियों को अपना शिकार बनाते हैं और उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन व हक दिलाने का झाँसा देकर उनका ब्रेनवॉश करते हैं। महिलाओं को बताया गया कि इस्लाम में इन्हें पूरा हक और सुरक्षा मिलेगी, जिसके कारण उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया।

33 में से 12 युवतियाँ मेधावी

एटीएस के सूत्रों के अनुसार, धर्मांतरण की शिकार हुई ग्रामीण इलाकों की 33 युवतियों व महिलाओं में 12 युवतियाँ मेधावी रही हैं। एमबीए, बीएड, बीएससी, एमएससी करने वाली इन युवतियों ने स्कॉलरशिप के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की है। उसके बाद भी गिरोह के सदस्य इन युवतियों का ब्रेनवॉश कर उनका धर्मांतरण करा देते हैं।

मालूम हो कि धर्मांतरण मामले में जारी हुई लिस्ट में MBA पास ऋचा देवी का भी नाम दर्ज है। घाटमपुर की 26 वर्षीय ऋचा ने कानपुर और प्रयागराज से पढ़ाई की है। सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान वह एक मुस्लिम प्रोफेसर के संपर्क में आई और अपना धर्म बदल लिया। अब उसने अपना नया नाम माहीन अली रख लिया है। ऋचा उर्फ माहीन एक कंपनी में जॉब करती है और परिवार से अलग नोएडा में रहती है। गुरुवार (जून 24, 2021) को एटीएस ने छात्रा के घर पहुँच कर इसकी जानकारी जुटाई थी।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने सोमवार (21 जून 2021) को मूक-बाधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मान्तरण कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं, मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर कासिम को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर अब तक करीब 1,000 मूक-बधिर, महिलाएँ और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया था।

इसमें से एक उमर गौतम पहले हिंदू ही था। वह करीब 30 साल पहले धर्मान्तरण कर मुस्लिम बन गया था। इसके बाद से ही वह दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस्लामिक दावा सेंटर चला रहा था। यहीं से धर्मान्तरण का सारा खेल खेला जाता है। गिरफ्तार किए गए मोहम्मद उमर गौतम को लेकर फतेहपुर के एक स्कूल में अंग्रेजी की टीचर रही कल्पना सिंह ने खुलासा किया था कि उन पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया गया था। हिंदू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था।

Friday 25 June 2021

पहले दावत, फिर गीता और आखिर में कुरान: इस तरह इस्लाम कबूल करवाता था मौलाना उमर का गैंग, 24 राज्यों में नेटवर्क


इस्लामी धर्मांतरण रैकेट से जुड़े मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद से उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (यूपी एटीएस) लगातार पूछताछ कर रही है। रोज नए खुलासे हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इनका नेटवर्क 24 राज्यों में फैला है। इस बीच उमर और उसकी संस्था के यूट्यूब चैनल से कुछ वीडियो डिलीट किए गए हैं। अधिकारी यह जानने की कोशिश में हैं कि उन वीडियो में क्या था।

पूछताछ में उमर ने एटीएस को फंडिंग से संबंधित कुछ अहम जानकारी दी है। मामला संवेदनशील होने के कारण यह भी जानने का प्रयास किया जा रहा है कि इन आरोपितों और उनकी संस्था को दी जाने वाली फंडिंग कहाँ से हो रही थी और इसके पीछे का वास्तविक उद्देश्य क्या था। क्या इसके पीछे सिर्फ धर्मांतरण ही उद्देश्य है या कुछ और, इस तथ्य की विशेष रूप से छानबीन की जा रही है।

इसके साथ ही उन संस्थाओं की भी छानबीन की जा रही है, जिससे उमर किसी न किसी रुप में जुड़ा रहा है। उमर के अन्य ठिकानों के साथ-साथ उसके मददगारों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध उमर की स्पीच के वीडियो को भी एटीएस खँगाल रही है। इस्लामिक दावाह सेंटर के नाम से यूट्यूब चैनल भी है। इस पर उमर की स्पीच के कई वीडियो अपलोड हैं। कुछ वीडियो पूरा मामला सामने आने के बाद डिलीट भी कर दिए गए हैं। उनके बारे में भी पड़ताल की जा रही है।

उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि धर्मांतरण से जुड़े सभी संगठनों की विस्तृत जाँच की जा रही है। जिन लोगों का धर्मांतरण किया गया है उनके परिजनों से पुलिस लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि जिन 24 राज्यों के बारे में उमर व जहाँगीर ने बताया है, वहाँ की पुलिस से संपर्क कर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। मौलाना उमर और मुफ्ती जहाँगीर आलम को धर्मांतरण के लिए इस्लामिक देशों से लगातार मदद मिलती थी। इनका लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों का मतांतरण कराना था। उमर ने बताया है कि असम से सांसद बदरुद्दीन अजमल के कहने पर 2011 से 2012 के बीच दिल्ली में इस्लामिक दवाह सेंटर की स्थापना की गई थी।

उत्तर प्रदेश शासन में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मतांतरण के प्रकरण में विदेशों से फंडिंग के पुख्ता सुबूत मिले हैं। एक खाता भी कनफर्म हो गया है, जिसमें विदेशों से रकम आती थी। यह धनराशि क्यों और कैसे आती थी, इसकी जाँच की जा रही है। जाँच में पता चला कि मौलाना उमर के पास इस्लामिक देशों से मिले फंड से अरबों की संपत्ति भी है। उमर की गाजियाबाद के साथ ही नई दिल्ली में भी संपत्ति का पता चला है। इसके अलावा, उसकी गौतमबुद्ध नगर की संपत्ति के कागजों की जाँच चल रही है। यह भी सामने आया है कि मौलाना गाजियाबाद के किसी स्कूल में फंड देने का भी काम करता था। एटीएस अब मौलाना उमर के बैंक डिटेल्स भी चेक कर रही है।

मौलाना उमर ने पूछताछ में बताया कि मतांतरण के लिए दावत का इंतजाम किया जाता था। मतांतरण के लिए सबसे पहले गीता पढ़ाया जाता था। फिर कुरान पढ़ाते थे। दोनों का अंतर और गीता में कमी बताई जाती थी। उसके बाद हदीस पढ़ाया जाता था। हदीश पढ़ाने के बाद पूरी तरह से ब्रेन वॉश किया जाता है और फिर लोगों को धीरे-धीरे इस्लाम के प्रति आकर्षित कर लिया जाता है।

बता दें कि यूपी एटीएस ने उमर गौतम और जहाँगीर आलम को गिरफ्तार कर बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण का खुलासा किया था। उमर गौतम दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस में इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था का संचालक है। यहीं से धर्मान्तरण का सारा खेल खेला जाता है। उमर पर आरोप है कि उसने नोएडा के मूक-बधिर स्कूल के दर्जनों छात्रों का उसने धर्मांतरण कराया है। उमर गौतम पहले हिंदू ही था। वह करीब 30 साल पहले धर्मान्तरण कर मुस्लिम बन गया था।

विहिप ने मतांतरण के मुद्दे को विधानसभा में उठाने नेता प्रतिपक्ष से की मांग

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