उत्तर प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण रैकेट मामले में विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ है। इसमें हवाला के माध्यम से फंडिंग की बात सामने आई है जिसमें कतर, दुबई और आबूधाबी से ट्रांजेक्शन होने के सबूत मिले हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस मामले में तीन अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है।
यूपी एडीजी (लॉ &ऑर्डर) की प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया है कि उमर गौतम जो पूर्व से ही हिरासत में है, उसने इरफान के साथ मिलकर प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने का कार्य किया है। इनका पूरा गैंग था जो प्रलोभन देकर लोगों के धर्म परिवर्तन का कार्य करता था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया है कि सामूहिक धर्मांतरण के इस मामले अलीगढ़, बनारस, नोएडा और सहारनपुर समेत 27 जिलों के एसपी को पत्र लिखकर सत्यापन करवाया जा रहा है। आरोपितों द्वारा कई मूक-बधिरों का धर्मांतरण कराया गया। इन मूक-बधिरों के ब्रेन वाश करने का काम एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए राहुल भोला के द्वारा किया जाता था।
जाँच में विदेशी फंडिंग का एंगल भी सामने आया है। एटीएस के अनुसार 2 करोड़ रुपए यूनाइटेड किंगडम से आए जिनका उपयोग मुख्य आरोपित उमर गौतम और मुफ्ती कासिम के द्वारा किया गया। एटीएस के मुताबिक यूके से यह फंडिंग गुजरात के किसी व्यापारी के खाते के माध्यम से की गई जिसकी जानकारी को वैरिफाई किया जा रहा है। इस पूरी फंडिंग में लगातार फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट अधिनियम का उल्लंघन होता रहा और जिसकी जाँच ईडी के द्वारा की जा रही है।
इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आ रही है कि एटीएस को दोनों मुख्य आरोपितों के बैंक खातों में मध्य-पूर्वी देशों से फंडिंग के भी सबूत मिले हैं। इस पूरे मामले में विभिन्न पहलुओं पर जाँच की जा रही है। हालाँकि एटीएस ने आज (28 जून) ही तीन अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान निवासी गुरुग्राम हरियाणा, इरफान शेख निवासी बीड महाराष्ट्र और राहुल भोला निवासी नई दिल्ली शामिल हैं। इसके अलावा शनिवार (26 जून) को एटीएस मुख्य आरोपितों को एनसीआर के आसपास उन 4 जिलों में लेकर गई जहाँ आरोपितों के द्वारा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के उद्देश्य से यात्राएं की गई।
उत्तर प्रदेश में भूचाल मचा देने वाले इस धर्मांतरण मामले में फतेहपुर के नूरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल की भूमिका भी संदिग्ध रही है। जाँच के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि नूरुल हुदा स्कूल का उपयोग उमर गौतम अपने धर्मांतरण के कार्य के लिए करता था। इस स्कूल में पढ़ाने वाली अंग्रेजी की एक टीचर ने भी स्कूल में इस्लामी धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर आवाज उठाई थी। हिन्दू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर अंग्रेजी की टीचर को स्कूल से निकाल दिया गया था और उनके साथ बदतमीजी भी की गई थी। हालाँकि ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने फतेहपुर के DM और SP को तलब किया था।
ज्ञात हो कि यूपी ATS ने मूक बाधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर अब तक करीब 1000 मूक बधिर, महिलाएँ और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। यही नहीं, इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये इस्लामी गिरोह ब्रेनवाश के जरिए हिंदुओं का धर्मांतरण कराते थे। गिरफ्तार आरोपितों में मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम शामिल हैं। उमर गौतम का खुद इस्लामीकरण हुआ था।
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